पूर्णिमा के अवसर पर भगवान जगन्नाथ जी को स्नान कराया गया। जिसके बाद भगवान जगन्नाथ जी बीमार पड़ गए अौर अब वे 15 दिनों तक आराम करेंगे। ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ को स्नान कराया जाता है। जिसके बाद वे बीमार पड़ जाते हैं अौर 15 दिनों के लिए मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इन दिनों उनकी सेवा की जाती है ताकि वे शीघ्र ठीक हो जाएं। भगवान के ठीक होने पर उस दिन जगन्नाथ यात्रा निकलती है।
भगवान भक्तों द्वारा करवाए स्नान के बाद अर्द्धरात्रि को बीमार होते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ जी को आयुर्वेदिक काढ़े का भोग लगाया जाता है। मनुष्य पर लागू होने वाले सारे नियम भगवान पर भी लागू होते हैं। जिसके कारण वे बीमार होते हैं। 15 दिनों तक मंदिर में कोई भी घंटे नहीं बजते अौर न ही अन्न का भोग लगता है। इस दौरान भगवान को केवल आयुर्वेदिक काढ़ा अौर फलों का रस दिया जाता है। जगन्नाथ धाम में भगवान की बीमारी की जांच के लिए प्रतिदिन वैद्य आते हैं। दिन में दो बार आरती होती है लेकिन इससे पहले भगवान को काढ़े का भोग लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त भगवान को प्रतिदिन शीतल लेप भी लगाया जाता है। भगवान जगन्नाथ को रात में सोने से पूर्व मीठा दूध भी अर्पित किया जाता है।
भगवान जगन्नाथ 24 जून को पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगे अौर मंदिरों के कपाट खोल दिए जाएंगे। इसके साथ ही भगवान के नव जोबन रूप के दर्शन श्रद्घालुओं को होंगे। भगवान को विशेष भोग प्रसाद चढ़ाया जाएगा। भगवान स्वस्थ होने के बाद 25 जून को अपने श्रद्घालुओं को दर्शन देने मंदिर से निकलेंगे। इसके लिए भगवान की गुंडिचा यात्रा निकाली जाएगी। वे अपनी बहन सुभद्रा व भाई बलभद्र के साथ अपने भक्तों को दर्शन देते हुए मौसी मां के घर जाएंगे। वहां वे 9 दिन रहेंगे। मौसी मां के घर उनके मनोरंजन के साथ ही विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। 3 जुलाई को भगवान की घर वापसी होगी, जिसे बहुणा यात्रा कहते है। भगवान रुठी हुई माता लक्ष्मी को मनाते हुए अपने घर वापसी करेंगे। मंदिर में उन्हें विधिपूर्वक स्थापित किया जाएगा। इसके बाद फिर से भगवान का दरबार भक्तों के लिए खुल जाएगा। भगवान मंदिर से साल में सिर्फ एक बार बाहर निकलते हैं।
भगवान भक्तों द्वारा करवाए स्नान के बाद अर्द्धरात्रि को बीमार होते हैं। इस दौरान भगवान जगन्नाथ जी को आयुर्वेदिक काढ़े का भोग लगाया जाता है। मनुष्य पर लागू होने वाले सारे नियम भगवान पर भी लागू होते हैं। जिसके कारण वे बीमार होते हैं। 15 दिनों तक मंदिर में कोई भी घंटे नहीं बजते अौर न ही अन्न का भोग लगता है। इस दौरान भगवान को केवल आयुर्वेदिक काढ़ा अौर फलों का रस दिया जाता है। जगन्नाथ धाम में भगवान की बीमारी की जांच के लिए प्रतिदिन वैद्य आते हैं। दिन में दो बार आरती होती है लेकिन इससे पहले भगवान को काढ़े का भोग लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त भगवान को प्रतिदिन शीतल लेप भी लगाया जाता है। भगवान जगन्नाथ को रात में सोने से पूर्व मीठा दूध भी अर्पित किया जाता है।
भगवान जगन्नाथ 24 जून को पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगे अौर मंदिरों के कपाट खोल दिए जाएंगे। इसके साथ ही भगवान के नव जोबन रूप के दर्शन श्रद्घालुओं को होंगे। भगवान को विशेष भोग प्रसाद चढ़ाया जाएगा। भगवान स्वस्थ होने के बाद 25 जून को अपने श्रद्घालुओं को दर्शन देने मंदिर से निकलेंगे। इसके लिए भगवान की गुंडिचा यात्रा निकाली जाएगी। वे अपनी बहन सुभद्रा व भाई बलभद्र के साथ अपने भक्तों को दर्शन देते हुए मौसी मां के घर जाएंगे। वहां वे 9 दिन रहेंगे। मौसी मां के घर उनके मनोरंजन के साथ ही विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। 3 जुलाई को भगवान की घर वापसी होगी, जिसे बहुणा यात्रा कहते है। भगवान रुठी हुई माता लक्ष्मी को मनाते हुए अपने घर वापसी करेंगे। मंदिर में उन्हें विधिपूर्वक स्थापित किया जाएगा। इसके बाद फिर से भगवान का दरबार भक्तों के लिए खुल जाएगा। भगवान मंदिर से साल में सिर्फ एक बार बाहर निकलते हैं।
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