Wednesday, February 15, 2017

यशोदा माता मंदिर इंदौर...

यशोदानंदन कृष्ण कन्हैया के तो देश-विदेश में हजारों मंदिर हैं, लेकिन इंदौर के राजबाड़ा क्षेत्र स्थित यशोदा मंदिर शायद पूरे विश्व में एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां मां यशोदा कान्हा को अपनी ममता की छाया में समेटे हुए हैं। ये मंदिर लगभग दो सौ साल पुराना है। मंदिर में यशोदा मैया की गोद में बाल रूप में श्रीकृष्ण बैठे हुए हैं। इनके अलावा नंदबाबा और राधा-कृष्ण की प्रतिमाएं भी मंदिर में विराजित हैं।


बैलगाड़ी से लाए थे यशोदा मैया की प्रतिमा

यशोदा माता रोड पर बने यशोदा मंदिर के पुजारी महेन्द्र दीक्षित बताते हैं कि उनके परदादा ने लगभग 222 साल पहले इस मंदिर की स्थापना की थी। उन्हें यशोदा माता का मंदिर बनाने की प्रेरणा उनकी माताजी ने ये कहकर दी थी कि कन्हैया को तो सारा संसार पूजता है, लेकिन उनको पालने पोसने वाली यशोदा मैया को सब भूल गए हैं। माताजी की यह बात सुन उन्होंने यशोदा मंदिर की स्थापना का संकल्प लिया था। उस समय जयपुर में मूर्ति बनवाई थी। इंदौर से बैलगाड़ी लेकर उनके परदादा जयपुर गए थे और वहां से मूर्ति लेकर आए थे।

बड़ी है यशोदा, छोटे हैं नंदबाबा

महेंद्र दीक्षित के अनुसार शुरू में यहां अपनी गोद में कन्हैया को खिलाते हुए यशोदा मैया की प्रतिमा थी। बाद में नंदबाबा की मूर्ति लाई गई। इसके बाद राधा-कृष्ण और फिर दाई मां की मूर्ति की स्थापना भी की गई। खास बात यह है कि यहां यशोदा माता की प्रतिमा बड़ी है और नंद बाबा की छोटी।

कृष्ण जैसे पुत्र की कामना से महिलाएं करती हैं पूजन

इस मंदिर में हर गुरुवार को महिलाएं चावल, नारियल और अन्य सामान से यशोदा माता की गोद भरती हैं। ऐसी मान्यता है कि यशोदा माता की गोद भरने वाली महिलाओं की गोद मैया उन्हें कृष्ण जैसा पुत्र देकर भरती हैं। जन्माष्टमी पर भी दूर-दूर से आई महिलाएं मैया की गोद भरेंगी।

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