Friday, November 3, 2017

तिलभाण्डेश्वर महादेव मंदिर

हरदा जिले के हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र नगर का प्राचीन तिलभाण्डेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग नर्मदा में मिला था। यह मंदिर करीब दो सौ साल पुराना बताया जाता है।



पुजारी पं. हेमंत दुबे ने बताया कि तत्कालीन मकड़ाई रियासत का प्रमुख गांव सिराली था। यहां शिवभक्त लाला परसाई जी रहते थे। वे आमावस्या के दिन मां नर्मदा में स्नान के लिए हंडिया गए थे। उनके साथ एक मित्र भी थे। स्नान व पूजन अर्चन के बाद परसाई ने नर्मदा को प्रणाम किया। जल ग्रहण करने के लिए नर्मदा में हाथ डाला तो जल के साथ एक छोटा सा शिवलिंग भी हाथ में आ गया। वह शिवलिंग बहुत ही सुंदर था। जेब में रख कर घर कि ओर बैल गाड़ी से आते समय रास्ते में डगावा शंकर के पास माचक नदी पर दोनों पानी पीने के लिए उतरे। इस दौरान जेब में रखा शिवलिंग नदी में गिर गया।

भगवान ने स्वप्न में कहा-शिवलिंग मंदिर में स्थापित करो

घर आने पर भगवान ने स्वप्न में शिवलिंग को मंदिर में स्थापित करने को कहा। परसाई जी और उनके साथी को एक जैसा स्वप्न आया तो दोनों शिवलिंग को माचक नदी में खोजने गए। उन्हें शिवलिंग मिल गया। घर लाकर पूजा अर्चना की तो उन्होंने देखा कि लगभग पचास ग्राम का शिवलिंग पांच किलो का हो गया। उन्होंने भगवान से प्रार्थना की कि हे प्रभु इतनी तेजी से आप का आकार बढ़ेगा तो में आप को कहां रखूंगा। उन्होंने प्रभु से प्रार्थना की कि आप प्रति वर्ष एक तिल ही बढ़ें। तभी से मान्यता है कि शिवलिंग हर साल मकर संक्रांति पर तिल जितना बढ़ता है।



विशाल मंदिर बनाया

शिवलिंग की स्थापना के लिए परसाई जी ने ग्रावासियों को सभी बात बताई। इसके वाद गांव में ही एक छोटी सी कुटिया बनाकर इस शिवलिंग की स्थापना कर दी गई। सभी लोग पूजा करने लगे। 6 -7 माह के बाद अधिक बरसात होने पर यह मंदिर ढह गया। ग्रामीणों की मदद से मलबे से शिवलिंग को बाहर निकाला गया। इसके बाद मंदिर निर्माण के लिए सहयोग जुटाया गया। मंदिर के ऊपर विशाल गोल चक्र बनाए गए हैं। इसमें सीमेंट के स्थान पर अमाड़ी बीज, बील फल, अलसी का उपयोग किया गया। मंदिर का गुम्मद उसी घोल का बना हुआ है। यह मंदिर की सुंदरता को बढ़ाता है। 

No comments:

Post a Comment

हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस

महाभारत कालीन श्री हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है। यहाँ पर उपस्थित हनुमान जी स्वयंभू हैं। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर 1724 ईस्वी के आसपास...